यात्राविवरण , कविता , कहानी , चित्र

बुधवार, 18 अगस्त 2010









मेरी सफ़र





मैँ अपने परिवार के साथ कन्याकुमारी देखने गयी गर्मी की छुट्टी थी हमारी यात्रा बस में थी पहले हम पदमनाभास्वामी मंदिर पर पहूंचे वहां से प्रार्थना की और वहां की चित्रकला और शिल्प देखकर मैँ चकित हो गयी चिड़ियाघर में अनेक पशु - पक्षियों को भी देखा मन पुलकित हो गयी पास के अजायब घर से राजारविवरमा और स्वातितिरुनाल आदि महान कलाकारों की चित्र देखी वहां से हम कन्याकुमारी की ओर निकले किराये पर एक कमरा ली , नहाई, भोजन की, सूर्यास्त देखने गए कन्याकुमारी देवी मंदिर में प्रार्थना की और कमरे पर गए दूसरे दिन बड़े सबेरे उठे सूर्योदय देखा -कितना मनमोहक दिश्य था ! विवेकनंध स्मारक पर बोट में गए और प्रार्थना भी की बोट यात्रा बहुत ख़ुशी दी अनंत सागर और मंत हवा मुझे पुलकित की लौटते समय मन में कुछ दुःख उत्पन्न हुई लेकिन पिताजी ने बताया कि समय मिलने पर फिर आयेंगे़ यह यात्रा मेरे जीवन की एक अनमोल यात्रा थी




स्मिता . ए .पी ।

आठवीं . डी









सोमवार, 16 अगस्त 2010

आंसू और यहसास
गया मैँ जहाज़ की छत्त पर
टॅ्आय ट्रेन से आधिक चौड़ा
खुबसूरत और भव्य जहाज़
देखा नन्हीं नन्हीं नौकायें
छत्त से देखा मैँ ने
टुकटा टुकटा आसमांन
नन्हीं चिंगड़ी मछली
उमडती मन में यादें
बीती गयी सागर यात्रा की
मुहम्मद इल्लियास
एच

रविवार, 15 अगस्त 2010


आज़ादी
आज़ादी वरदान हैं हिंद की
कुर्बनियां हज़ारों नौजवानों की
भूला हैं हम यह सब बलिदान
जल रहा हैं भारत हिंसा से
कोन हैं बापू हम नहीँ जानते
जाने हैं तो करते न बर्बाद
संस्कृति को सभ्यता को अहिंसा को
मशहूर जिससे भारतीय विश्व भर
फाहाराती हैं राष्ट्रीय झंडा हर कहीं
खिलाती हैं मिटाईयां सब कहीं
लेकिन यह सब करते हैं
सिर्फ समाचार केलिए















गुरुवार, 12 अगस्त 2010


ज़िन्दगी

उछळती खुदती ज़िन्दगी तो
पन्नों में छिप्पा हैं
दर्द हैं , ख़ुशी हैं , जोश हैं
प्यार भी हैं उसमे
लहराती हैं सपने भी
यही है ज़िन्दगी यही हैं जान
खुदा की दान हैं
खुदा की प्यार हैं