स्वर्ग
कितना सुन्दर हैं यह सागर
कितना खूबसूरत भी हैं
कितने मजदूरों का जीवन
फैला हैं इस सागर में
लहरें किनारे की और आती जाती हैं
खेलते हैं बचों लहरों पर
खूम्थी फिरती हैं मिटाई वाले
होनेवाला हैं सूर्यास्त
जहास पर बीते मुसफिरबाबा ने कहा
यह हैं स्वर्ग , सच्चा स्वर्ग
नीतु एन एस
८ डी