सोमवार, 22 नवंबर 2010
शनिवार, 18 सितंबर 2010
शुक्रवार, 17 सितंबर 2010
यात्रा विवरण
सर्पाकार रास्ता
मेरी पहली वयानाडू यात्रा मार्च ७ को स्कूल से मेरी अध्यापिका और सहेलियों के साथ थी हमारी गाडी जंगल के पेड़ों की बीच की सर्पाकार रास्ता से धीरे धीरे चल रही थी कई दृश्यों को देखने क बाद हम एडक्कल गुफा देखने गए वहाँ से कई ज्ञानवर्धक दृश्यों को देखा यात्रा के बीच में एक बन्दर आये हम उसको बिस्कुट diye chidiyakhar देखने केलिए अम्बलावयल गया वहां इक हाथी की अस्थिपंजर देखा वह देखकर मन विस्मय से भरा सूरज पहाड़ों के पीछे अस्त होते तो हम वापस घर की ओर लौटे मेरी ज़िन्दगी में इस यात्रा को में कभी नहीं भूलेगी
नीतू . एन. एस
८ डी
मंगलवार, 14 सितंबर 2010
सितंबर १४ २०१० हिन्दी दिन समारोह
आज से हिंदी सप्ताह शुरु होता हैं
इस समारोह के सिलसिले में हिंदी में स्कूली सभा का आयोजन हुआ
खेल अध्यापक श्री विल्सन मास्टर ने सभा का संचालन किया
हिंदी प्रार्थना से शुरू हुए इस सभा में कुमारी अभिरामी आठवी ए ने हिंदी में प्रतिज्ञा प्रस्तुत की
नीतू आठवी टी ने समाचार प्रस्तुत की
कुमारी अखिला आठवी के ने सन्देश प्रस्तुत की
उप प्रधान अध्यापिका श्रीमती वासंती टीचर और चाक्को मास्टर ने सन्देश प्रस्तुत की
हसीना टीचर ने कृतज्ञत ज्ञापन की
रविवार, 5 सितंबर 2010
बुधवार, 18 अगस्त 2010
मेरी सफ़र
मैँ अपने परिवार के साथ कन्याकुमारी देखने गयी गर्मी की छुट्टी थी हमारी यात्रा बस में थी पहले हम पदमनाभास्वामी मंदिर पर पहूंचे वहां से प्रार्थना की और वहां की चित्रकला और शिल्प देखकर मैँ चकित हो गयी चिड़ियाघर में अनेक पशु - पक्षियों को भी देखा मन पुलकित हो गयी पास के अजायब घर से राजारविवरमा और स्वातितिरुनाल आदि महान कलाकारों की चित्र देखी वहां से हम कन्याकुमारी की ओर निकले किराये पर एक कमरा ली , नहाई, भोजन की, सूर्यास्त देखने गए कन्याकुमारी देवी मंदिर में प्रार्थना की और कमरे पर गए दूसरे दिन बड़े सबेरे उठे सूर्योदय देखा -कितना मनमोहक दिश्य था ! विवेकनंध स्मारक पर बोट में गए और प्रार्थना भी की बोट यात्रा बहुत ख़ुशी दी अनंत सागर और मंत हवा मुझे पुलकित की लौटते समय मन में कुछ दुःख उत्पन्न हुई लेकिन पिताजी ने बताया कि समय मिलने पर फिर आयेंगे़ यह यात्रा मेरे जीवन की एक अनमोल यात्रा थी
स्मिता . ए .पी ।
आठवीं . डी
सोमवार, 16 अगस्त 2010
रविवार, 15 अगस्त 2010

कुर्बनियां हज़ारों नौजवानों की
भूला हैं हम यह सब बलिदान
जल रहा हैं भारत हिंसा से
खिलाती हैं मिटाईयां सब कहीं
लेकिन यह सब करते हैं