फुलवारी
हिंदी मंच जी एच एच एस कुटिटप्पुरम
यात्राविवरण , कविता , कहानी , चित्र
यात्राविवरण , कविता , कहानी , चित्र
गुरुवार, 12 अगस्त 2010
ज़िन्दगी
उछळती
खुदती
ज़िन्दगी तो
पन्नों
में
छिप्पा
हैं
दर्द
हैं , ख़ुशी हैं , जोश हैं
प्यार
भी हैं
उसमे
लहराती
हैं सपने भी
यही
है ज़िन्दगी
यही
हैं
जान
खुदा
की
दान हैं
खुदा
की प्यार हैं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें