यात्राविवरण , कविता , कहानी , चित्र

सोमवार, 22 नवंबर 2010

आकार से नहीं बुधि से ही काम चलता हैं
चम्पक वन में शेरा नामक एक शेर रहता था एक दिन भोजन की तलाश में वह गुफा में बैठता था इस समय चिंकू चूहा वहां आया शेरा ने चिंकू को पकट लिया खुशी से उसका मन भर गया उसने कहा "आज तुम मेरे हाथ से नहीं बचेगा हां! हां!"
चिक्कू ने विनम्रता से कहा "हमेशा सब की हाल एक तरह नहीं होगा ' मुझ पर दया करो शेरा , अब मुझे छोड़ दो तो समय आने पर मैं तुमारी सहायता करूंगी उसने रोने लगा यह सुनकर शेरा ने हस लिया उसने चिक्कू पर हसने लगा
"तुम, इतना छोट्टा ,मेरे सहायता करें हा! हा! हा! ,देखते हें तुम मुझे कैसे सहायता करती हें "
इतना कहकर शीरा ने चिक्कू को छोड़ दिया
कुछ दिनों के बाद शेरा एक जाल में फस गया उसने चिल्लाया " बचावो बचावो "यह सुनकर चिक्कू वहां आया उसने जल काटकर शेरा को बचाया
शेरा ने पछताया और चिक्कू से कहा "दोस्त मुझे माफ़ करो , आज मुझे पता चला की आकार से नहीं बुदि्ध से ही काम चलता हैं आज से हम दोस्त हैं "
एस घटना के बाद शेरा और चिक्कू दोस्त बन गए
नीतू
आठवीं डी