यात्राविवरण , कविता , कहानी , चित्र

शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

अजब सी  दुनिया 

   यह अजब सी दुनिया में 
रहने लायक कौन कौन
 अपने जीवन जीते हे सब 
अपने लिए जीते हें 
राग विराग भरी दुनिया में 
किसकी जीत हो कौन जाने 
कौन किसको  मीत हो
अपना जीवन सुखद  या दुखद 
मानव अनजाना उससे
मानव अनजाना

                          राधिका   एस    
                                       




     

जो भी हो

जो भी हो 

  लड़का  हो या  लड़की   
बात यह हैं   पक्की
हम बनेंगे अच्छे सच्चे
 शिक्षा  मिले हमें सच्ची 
  बच्चा  हो या बच्ची  
हम हैं   कल का भविष्य 
इसका हो जय सबको  आभास 
यही  है हमारी इक्लोती  आस 

      राधिका  एस 

मंगलवार, 5 जुलाई 2011

हिंदी मंच "फुलवारी"का उद्घाटन समारोह

 हिंदी  मंच "फुलवारी" का उद्घाटन     ५ जुलाय २०११ सोमवार को  समकालीन मलयालम कवी और   हमारे स्कूल के पूर्व विद्यार्थी  श्री मोहनाकृष्णन कालडी  ने की  |  इस समारोह में स्कूल  के अन्य मंचों का उद्घाटन भी हुआ |                                        

                                                                   हिंदी मंच की अध्यक्षा श्रीमती राधिका टीचेर की निर्देसन में   सत्य   और अहिंसा  पर आधारित  एक छोट्टा  सा नाटक प्रस्तुत   किया  गया |इस में जिबिन,सरन्या ,हेमंत ,फसिल  ,   विवेक   आदि ने भूमिका   निभाए    |छात्रों  ने सत्य  और


  अहिम  कायम रखने की  प्रण भी ली |
                                                                                        वाचन प्रतियोगिता  के विजेतावोम    को   प्रमाणपत्र और पुस्तकें  भी सम्मानित की |
                                                      

सोमवार, 22 नवंबर 2010

आकार से नहीं बुधि से ही काम चलता हैं
चम्पक वन में शेरा नामक एक शेर रहता था एक दिन भोजन की तलाश में वह गुफा में बैठता था इस समय चिंकू चूहा वहां आया शेरा ने चिंकू को पकट लिया खुशी से उसका मन भर गया उसने कहा "आज तुम मेरे हाथ से नहीं बचेगा हां! हां!"
चिक्कू ने विनम्रता से कहा "हमेशा सब की हाल एक तरह नहीं होगा ' मुझ पर दया करो शेरा , अब मुझे छोड़ दो तो समय आने पर मैं तुमारी सहायता करूंगी उसने रोने लगा यह सुनकर शेरा ने हस लिया उसने चिक्कू पर हसने लगा
"तुम, इतना छोट्टा ,मेरे सहायता करें हा! हा! हा! ,देखते हें तुम मुझे कैसे सहायता करती हें "
इतना कहकर शीरा ने चिक्कू को छोड़ दिया
कुछ दिनों के बाद शेरा एक जाल में फस गया उसने चिल्लाया " बचावो बचावो "यह सुनकर चिक्कू वहां आया उसने जल काटकर शेरा को बचाया
शेरा ने पछताया और चिक्कू से कहा "दोस्त मुझे माफ़ करो , आज मुझे पता चला की आकार से नहीं बुदि्ध से ही काम चलता हैं आज से हम दोस्त हैं "
एस घटना के बाद शेरा और चिक्कू दोस्त बन गए
नीतू
आठवीं डी

शनिवार, 18 सितंबर 2010

स्वर्ग

कितना सुन्दर हैं यह सागर

कितना खूबसूरत भी हैं

कितने मजदूरों का जीवन

फैला हैं इस सागर में

लहरें किनारे की और आती जाती हैं

खेलते हैं बचों लहरों पर

खूम्थी फिरती हैं मिटाई वाले

होनेवाला हैं सूर्यास्त

जहास पर बीते मुसफिरबाबा ने कहा

यह हैं स्वर्ग , सच्चा स्वर्ग

नीतु एन एस

डी

शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

यात्रा विवरण

सर्पाकार रास्ता

मेरी पहली वयानाडू यात्रा मार्च ७ को स्कूल से मेरी अध्यापिका और सहेलियों के साथ थी हमारी गाडी जंगल के पेड़ों की बीच की सर्पाकार रास्ता से धीरे धीरे चल रही थी कई दृश्यों को देखने क बाद हम एडक्कल गुफा देखने गए वहाँ से कई ज्ञानवर्धक दृश्यों को देखा यात्रा के बीच में एक बन्दर आये हम उसको बिस्कुट diye chidiyakhar देखने केलिए अम्बलावयल गया वहां इक हाथी की अस्थिपंजर देखा वह देखकर मन विस्मय से भरा सूरज पहाड़ों के पीछे अस्त होते तो हम वापस घर की ओर लौटे मेरी ज़िन्दगी में इस यात्रा को में कभी नहीं भूलेगी

नीतू . एन. एस

८ डी

मंगलवार, 14 सितंबर 2010


सितंबर १४ २०१० हिन्दी दिन समारोह



आज से हिंदी सप्ताह शुरु होता हैं

इस समारोह के सिलसिले में हिंदी में स्कूली सभा का आयोजन हुआ

खेल अध्यापक श्री विल्सन मास्टर ने सभा का संचालन किया

हिंदी प्रार्थना से शुरू हुए इस सभा में कुमारी अभिरामी आठवी ए ने हिंदी में प्रतिज्ञा प्रस्तुत की

नीतू आठवी टी ने समाचार प्रस्तुत की

कुमारी अखिला आठवी के ने सन्देश प्रस्तुत की

उप प्रधान अध्यापिका श्रीमती वासंती टीचर और चाक्को मास्टर ने सन्देश प्रस्तुत की

हसीना टीचर ने कृतज्ञत ज्ञापन की