यात्राविवरण , कविता , कहानी , चित्र

सोमवार, 16 अगस्त 2010

आंसू और यहसास
गया मैँ जहाज़ की छत्त पर
टॅ्आय ट्रेन से आधिक चौड़ा
खुबसूरत और भव्य जहाज़
देखा नन्हीं नन्हीं नौकायें
छत्त से देखा मैँ ने
टुकटा टुकटा आसमांन
नन्हीं चिंगड़ी मछली
उमडती मन में यादें
बीती गयी सागर यात्रा की
मुहम्मद इल्लियास
एच

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें