यात्राविवरण , कविता , कहानी , चित्र

रविवार, 15 अगस्त 2010


आज़ादी
आज़ादी वरदान हैं हिंद की
कुर्बनियां हज़ारों नौजवानों की
भूला हैं हम यह सब बलिदान
जल रहा हैं भारत हिंसा से
कोन हैं बापू हम नहीँ जानते
जाने हैं तो करते न बर्बाद
संस्कृति को सभ्यता को अहिंसा को
मशहूर जिससे भारतीय विश्व भर
फाहाराती हैं राष्ट्रीय झंडा हर कहीं
खिलाती हैं मिटाईयां सब कहीं
लेकिन यह सब करते हैं
सिर्फ समाचार केलिए















कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें